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पितृ दोष क्या है और कुंडली में यह कैसे पहचाना जाता है? जानें कि आपके जीवन में पितृ दोष है या नहीं

पितृ दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो तब बनता है जब सूर्य पर राहु, शनि या केतु का प्रभाव पड़ता है। यह दोष पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं, अनुचित कर्मों या संस्कारों के कारण बनता है और इससे जीवन में विवाह, संतान, नौकरी व मानसिक शांति में बाधाएं आती हैं। यह दोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है। अमावस्या को तर्पण, पीपल पूजा, गरीबों को भोजन और भगवद्गीता पाठ जैसे उपायों से पितृ दोष की शांति की जाती है।

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महादशाएं और नौकरी, व्यवसाय या करियर में सफलता – भारतीय ज्योतिष अनुसार

भारतीय ज्योतिष में करियर, नौकरी और व्यवसाय के लिए विशेष ग्रह, भाव और महादशाएं जिम्मेदार होती हैं। 10वें, 6ठे, 2रे और 11वें भाव के स्वामी और उनमें स्थित ग्रहों की महादशाएं कार्यक्षेत्र में परिवर्तन और सफलता का संकेत देती हैं। शनि, गुरु और उनके संबंधी भाव विशेष रूप से विश्लेषण के योग्य होते हैं। सही महादशा के दौरान योग बनने से नई नौकरी, पदोन्नति या आर्थिक लाभ संभव होता है।

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कर्ण पिशाचिनी – एक अनोखी साधना

कर्ण पिशाचिनी एक अत्यंत गोपनीय तांत्रिक साधना है, जिसमें साधक पिशाचिनी आत्मा को मंत्र द्वारा वश में कर, कान में उत्तर प्राप्त करता है। यह साधना केवल सिद्ध गुरुओं के निर्देशन में ही की जा सकती है। स्वयं प्रयास करने से गंभीर मानसिक और आध्यात्मिक दुष्परिणाम संभव हैं।

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श्री नारायणाक्षी साधना: जीवन की सम्पूर्ण सकारात्मकता का मार्ग

“श्री नारायणाक्षी साधना” एक दिव्य, प्रभावशाली और दुर्लभ साधना है, जिसे एक बार सिद्ध कर लेने से व्यक्ति अपने समस्त जीवन कष्टों, रोगों, शत्रुओं, मानसिक विकारों से मुक्ति पाकर, ऐश्वर्य, यश, स्वास्थ्य और आत्मिक चेतना की ऊँचाईयों को प्राप्त कर सकता है। यह साधना प्राचीन ऋषियों, पांडवों और सिद्ध लामाओं द्वारा सिद्ध की गई है और आज भी अपनी सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है।

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बारहवें भाव में शुक्र: क्यों माना जाता है इसे एक शक्तिशाली और लाभकारी स्थिति?

बारहवें भाव में शुक्र एक गहरी, रहस्यमयी और आध्यात्मिक स्थिति मानी जाती है। यह प्रेम, रिश्तों, आर्थिक लाभ और आत्मिक विकास को प्रभावित करता है। यह स्थान व्यक्ति को भावनात्मक गहराई, रचनात्मकता और दया के माध्यम से जीवन में संतुलन व शांति की ओर प्रेरित करता है, हालांकि इसे आत्म-मूल्य, सीमाएं तय करने और आदर्शवाद जैसी चुनौतियाँ भी देती हैं।

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केतु महादशा: एक आध्यात्मिक यात्रा

केतु महादशा व्यक्ति को भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर कर आध्यात्मिकता और आत्मबोध की ओर ले जाती है। इस दौरान:
✔ भौतिक जीवन में अस्थिरता, नौकरी और संबंधों में बदलाव हो सकते हैं।
✔ अकेलापन, आत्मनिरीक्षण, गूढ़ विज्ञान और धार्मिक गतिविधियों में रुचि बढ़ सकती है।
✔ पूर्व जन्म के कर्मों का फल मिलता है और नए संबंध कर्मजनित हो सकते हैं।
✔ आध्यात्मिक जागरण, रहस्यमयी अनुभव और आत्मबोध का समय होता है।
✔ ध्यान, योग, दान-पुण्य और सेवा करने से इस समय को सकारात्मक रूप से बिताया जा सकता है।

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हनुमाष्टक पाठ के लाभ और महत्व

हनुमाष्टक का पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करता है। यह न केवल आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करता है बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी व्यक्ति को मजबूत बनाता है। जो भी श्रद्धा और भक्ति से इस पाठ को करता है, उसे हनुमान जी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

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हिन्दू नववर्ष संवत्सर : एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व

**हिन्दू नव वर्ष (संवत्सर)** भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व न केवल खगोलीय गणनाओं से जुड़ा है, बल्कि मनुष्य के भीतर नव चेतना और नई शुरुआत का संदेश भी देता है। विविधता में एकता, आत्मिक शांति और सामाजिक समरसता का यह पर्व हमें नयी प्रेरणा प्रदान करता है।

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शनि देव की पूजा, आराधना और साधना: जीवन में उनके चमत्कारी प्रभाव का विस्तृत विवेचन

भारतीय ज्योतिष में शनि देव को न्याय और कर्मफल के देवता माना जाता है। शनि प्रधान कुंडली वाले व्यक्ति जीवन में निरंतर संघर्ष, स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याओं का सामना करते हैं, जबकि नियमित पूजा, शनि मंत्रों का जाप और आध्यात्मिक साधना से वे धैर्य, अनुशासन और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। शनि देव के गुण हमें यह संदेश देते हैं कि हमारे कर्मों का फल अवश्य मिलता है, और यही जीवन का सच्चा संदेश है।

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