परिचय
हनुमाष्टक भगवान हनुमान जी की स्तुति में रचित एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसमें आठ श्लोक होते हैं, जो संकटमोचन हनुमान जी के विभिन्न गुणों, पराक्रम और भक्ति को समर्पित होते हैं। इसे पढ़ने से साधक को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
हनुमाष्टक पाठ के प्रमुख लाभ
1. भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति
हनुमाष्टक का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन से भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह आत्मविश्वास बढ़ाता है और साहस प्रदान करता है।
2. रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ
भगवान हनुमान जी को बल और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। हनुमाष्टक के पाठ से रोगों का नाश होता है और व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
3. शत्रु और बाधाओं से सुरक्षा
जो व्यक्ति अपने जीवन में शत्रुओं से परेशान है या किसी प्रकार की बाधाओं का सामना कर रहा है, उसके लिए हनुमाष्टक पाठ अति लाभकारी होता है। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और साधक की रक्षा करता है।
4. कार्यों में सफलता और समृद्धि
जो लोग व्यापार, नौकरी या किसी भी क्षेत्र में सफलता चाहते हैं, उन्हें हनुमाष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह आर्थिक समस्याओं को दूर कर समृद्धि प्रदान करता है।
5. ग्रह दोष और कुंडली दोषों से मुक्ति
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु, केतु या मंगल दोष है, तो हनुमाष्टक का पाठ करने से इन दोषों का प्रभाव कम होता है। विशेष रूप से शनि की साढ़े साती और ढैय्या में यह पाठ अत्यंत प्रभावशाली होता है।
6. हनुमान जी की कृपा और भक्ति की प्राप्ति
हनुमाष्टक का पाठ करने से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। इससे जीवन में आध्यात्मिक शांति और भक्ति का संचार होता है।
हनुमाष्टक पाठ करने का सही तरीका
1. शुद्धता और नियम का पालन करें
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ रखें और दीप जलाकर पाठ करें।
2. आसन और ध्यान
- हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
- मन को एकाग्र कर हनुमान जी का ध्यान करें।
3. मंत्र उच्चारण और समर्पण
- श्रद्धा और भक्ति के साथ हनुमाष्टक का पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान हनुमान जी को गुड़ और चने का भोग लगाएं।
4. विशेष दिन और समय
- मंगलवार और शनिवार को पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
- संकट के समय या विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए 11 या 21 दिनों तक लगातार पाठ करें।