वेदिक ज्योतिष में बृहस्पति (गुरु) के 12 भावों में प्रभाव

वेदिक ज्योतिष में बृहस्पति (गुरु) को शुभ और सबसे लाभकारी ग्रह माना गया है। यह ग्रह धर्म, ज्ञान, भाग्य, अध्यात्म, समृद्धि और विस्तार का प्रतीक है। कुंडली के जिस भाव में गुरु स्थित होता है, वहाँ से जुड़े जीवन क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव देता है – बशर्ते वह शुभ स्थिति में हो।

गुरु के प्रभाव का निर्धारण इन बातों पर निर्भर करता है:

  • उसकी राशि और स्थिति (उच्च, नीच, स्वराशि आदि)
  • किन ग्रहों के साथ युति या दृष्टि है
  • कुंडली की कुल शक्ति
  • महादशा, अंतरदशा व प्रत्यंतर दशा में सक्रिय प्रभाव (विशेषकर KP ज्योतिष अनुसार)

अब हम देखेंगे गुरु के बारहों भावों में सामान्य प्रभाव:


1. प्रथम भाव (लग्न) में गुरु

  • प्रभाव: धार्मिक, उदार, आशावादी स्वभाव
  • लाभ: अच्छी सेहत, समाज में मान-सम्मान, आध्यात्मिक झुकाव
  • फल: व्यक्ति भाग्यशाली होता है, शिक्षित होता है, दूसरों को मार्गदर्शन देने वाला होता है।

2. द्वितीय भाव में गुरु

  • प्रभाव: विद्वान, मधुरभाषी, धनवान
  • लाभ: वाणी में मिठास, संग्रहण क्षमता, परिवार से सुख
  • फल: सुंदर चेहरा, भोजन-संगीत में रुचि, धार्मिक प्रवृत्ति

3. तृतीय भाव में गुरु

  • प्रभाव: साहसी, बुद्धिमान, जिज्ञासु
  • लाभ: लेखन, संवाद कला, शिक्षण में दक्षता
  • चुनौतियाँ: दिखावा, अत्यधिक उत्साह, अशांत स्वभाव
  • फल: भाई-बहनों से अच्छे संबंध, यात्राओं में रुचि

4. चतुर्थ भाव में गुरु

  • प्रभाव: शांति, सुख, पारिवारिक समृद्धि
  • लाभ: माता का सुख, वाहन, संपत्ति, घर का आराम
  • फल: पारंपरिक संस्कृति में विश्वास, गृहस्थ जीवन सुखद

5. पंचम भाव में गुरु

  • प्रभाव: रचनात्मक, विद्वान, धार्मिक
  • लाभ: शिक्षा, संतान सुख, प्रसिद्धि
  • फल: आध्यात्म, दर्शन, मंत्रों में रुचि; संतान में विलंब या बाधा संभव

6. षष्ठ भाव में गुरु

  • प्रभाव: परिश्रमी, सेवा भावी, व्यावहारिक
  • लाभ: रोगों से मुक्ति, ऋण निवारण, शत्रुओं पर विजय
  • चुनौतियाँ: अधिक संघर्ष, न्यायिक मामलों से जुड़ाव
  • फल: समाज सेवा में आगे, नौकरीपेशा में सफल

7. सप्तम भाव में गुरु

  • प्रभाव: आकर्षक, सहयोगी, ईमानदार
  • लाभ: शुभ विवाह, अच्छे जीवनसाथी, व्यापारिक सफलता
  • फल: वैवाहिक जीवन संतुलित और समर्पित, सामाजिक प्रतिष्ठा

8. अष्टम भाव में गुरु

  • प्रभाव: रहस्यमयी, आध्यात्मिक, गहन सोच वाला
  • लाभ: गुप्त ज्ञान, विरासत, लंबी आयु
  • चुनौतियाँ: अप्रत्याशित परिवर्तन, हानि की आशंका
  • फल: ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, गूढ़ विषयों में रुचि

9. नवम भाव में गुरु

  • प्रभाव: धार्मिक, सौभाग्यशाली, उच्च विचारों वाला
  • लाभ: धर्म-यात्रा, उच्च शिक्षा, नैतिकता
  • फल: शिक्षक, गुरु, प्रवचनकर्ता बनने की संभावना; विदेश यात्रा भी संभव

10. दशम भाव में गुरु

  • प्रभाव: कर्मठ, आदरणीय, नेतृत्वकारी
  • लाभ: उच्च पद, सामाजिक प्रतिष्ठा, प्रभावशाली करियर
  • फल: प्रशासनिक सेवा, जनकल्याण से जुड़ा कार्य

11. एकादश भाव में गुरु

  • प्रभाव: आशावादी, लोकप्रिय, भाग्यवर्धक
  • लाभ: आय, लाभ, मित्रों का सहयोग, इच्छाओं की पूर्ति
  • फल: बड़े नेटवर्क, दानशीलता, दूरदर्शी सोच

12. द्वादश भाव में गुरु

  • प्रभाव: त्यागी, करुणामयी, आत्मिक
  • लाभ: ध्यान, साधना, परोपकार, विदेशी संपर्क
  • चुनौतियाँ: एकांत जीवन, त्याग की प्रवृत्ति
  • फल: अध्यात्म में गहराई, खर्चों में वृद्धि लेकिन निवेश में लाभ

बृहस्पति जिस भाव में होता है, वहाँ की विषयवस्तु का विस्तार करता है। यह ग्रह जहां भी हो, यदि शुभ स्थिति में है, तो वह उस क्षेत्र में आशा, विश्वास और समृद्धि लाता है। केपी ज्योतिष (KP Astrology) के अनुसार, गुरु की असली शक्ति उसकी नक्षत्र स्थिति और कुंडली में भावों के संकेतों पर आधारित होती है।

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