1. प्रथम भाव (लग्न भाव) में बृहस्पति
-
व्यक्ति धार्मिक, विद्वान, न्यायप्रिय और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है।
-
जीवन में सम्मान, ज्ञान और अच्छे अवसर मिलते हैं।
-
स्वास्थ्य अच्छा रहता है और जीवन सामान्यतः सुखी होता है।
-
यदि नीच राशि में हो तो व्यक्ति ढोंगी, अहंकारी या आलसी हो सकता है।
2. द्वितीय भाव में बृहस्पति
-
वाणी मधुर होती है और व्यक्ति शिक्षित, पारिवारिक और धनवान होता है।
-
भोजन में वैभव, परिवार में सुख और स्थायी संपत्ति का योग।
-
अच्छे संस्कार, परंपरा से जुड़ाव और धार्मिक वातावरण।
-
अशुभ स्थिति में आलस्य, अधिक खर्च और पारिवारिक कलह।
3. तृतीय भाव में बृहस्पति
-
साहसी, परिश्रमी और भाइयों से सहयोग।
-
लेखन, संगीत, कला, पत्रकारिता या संचार कार्यों में सफलता।
-
आत्मविश्वास और धार्मिक यात्राओं का योग।
-
यदि पीड़ित हो तो आलस्य, निर्णय में देरी और भाइयों से दूरी।
4. चतुर्थ भाव में बृहस्पति
-
सुख-सुविधाओं, वाहन, मकान और भूमि का योग।
-
माता से स्नेह और उच्च शिक्षा में लाभ।
-
दयालु और उदार स्वभाव।
-
अशुभ स्थिति में गृह कलह, माता को पीड़ा या शिक्षा में व्यवधान।
5. पंचम भाव में बृहस्पति
-
यह भाव बृहस्पति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
-
संतान सुख, उच्च शिक्षा, बुद्धि, रचनात्मकता और भाग्य में वृद्धि।
-
व्यक्ति शिक्षक, प्रोफेसर, गुरु या सलाहकार के रूप में ख्याति पा सकता है।
-
यदि नीच या शत्रु राशि में हो तो संतान सुख में विलंब, गर्भपात या शिक्षा में बाधा।
6. षष्ठ भाव में बृहस्पति
-
शत्रुओं पर विजय, लेकिन रोग और ऋण से कष्ट।
-
व्यक्ति सेवाभावी, न्यायप्रिय और संघर्षशील होता है।
-
कानून, चिकित्सा या सामाजिक सेवा में सफलता।
-
यदि पीड़ित हो तो मोटापा, डायबिटीज़, लीवर या पेट संबंधी रोग।
7. सप्तम भाव में बृहस्पति
-
विवाह सुखद, जीवनसाथी धार्मिक, शिक्षित और सहयोगी।
-
साझेदारी और व्यापार में सफलता।
-
भाग्य वृद्धि विवाह के बाद।
-
यदि अशुभ हो तो विवाह में विलंब, असफलता या जीवनसाथी से मतभेद।
8. अष्टम भाव में बृहस्पति
-
यह बृहस्पति का कठिन स्थान है।
-
जीवन में अचानक घटनाएँ, स्वास्थ्य समस्याएँ, वित्तीय अस्थिरता।
-
दाम्पत्य जीवन में बाधाएँ और जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर प्रभाव।
-
अगर शुभ हो तो गूढ़ विद्या, ज्योतिष, तंत्र-मंत्र और आध्यात्मिकता में सिद्धि।
-
परंतु सामान्यतः धन और विवाह के लिए प्रतिकूल।
9. नवम भाव में बृहस्पति
-
यह बृहस्पति का उच्चतम और शुभ स्थान है।
-
भाग्यशाली, धार्मिक, उच्च शिक्षा और विदेश यात्रा।
-
पिता से सहयोग, गुरुजनों का आशीर्वाद और पुण्य कर्म।
-
व्यक्ति दार्शनिक, न्यायप्रिय और उदार होता है।
-
अशुभ स्थिति में पिता से मतभेद या धार्मिक पाखंड।
10. दशम भाव में बृहस्पति
-
करियर और सामाजिक जीवन में उन्नति।
-
नेतृत्व क्षमता, प्रशासनिक पद, न्यायपालिका या शिक्षण क्षेत्र में सफलता।
-
कार्यस्थल पर आदर और सम्मान।
-
अशुभ स्थिति में करियर में देरी, बार-बार बदलाव या आलस्य।
11. एकादश भाव में बृहस्पति
-
यह भी अत्यंत शुभ स्थिति है।
-
मित्रों का सहयोग, बड़े लक्ष्य की प्राप्ति और वित्तीय लाभ।
-
इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, धन और संतान सुख में वृद्धि।
-
सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभावशाली मित्र।
-
अशुभ स्थिति में आलस्य, अत्यधिक विलासिता और अनुचित मित्र मंडली।
12. द्वादश भाव में बृहस्पति
-
यह भाव हानि, व्यय और मोक्ष का द्योतक है।
-
व्यक्ति आध्यात्मिक, दानशील और परोपकारी होता है।
-
विदेश यात्रा या वहाँ बसने का योग।
-
आर्थिक हानि और व्यर्थ खर्च।
-
यदि शुभ हो तो मोक्ष, ध्यान, सेवा और आध्यात्मिक उन्नति।
सारांश
-
सबसे शुभ भाव: 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10, 11
-
मिश्रित फल: 3, 6, 12
-
कठिन भाव: 8, 12
सभी 12 लग्न के लिए बृहस्पति का सामान्य स्वभाव
1. मेष लग्न
-
बृहस्पति 9वें (धर्म, भाग्य) और 12वें (व्यय) भाव का स्वामी है।
-
यह त्रिकोण स्वामी होने से बहुत शुभ है।
-
भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा, विदेश यात्रा व दानशीलता को बढ़ाता है।
2. वृषभ लग्न
-
बृहस्पति 8वें (आयु, गुप्त धन) और 11वें (लाभ, मित्र) भाव का स्वामी।
-
यहाँ यह मिश्रित फल देता है।
-
लाभ तो देता है परन्तु कभी-कभी आकस्मिक संकट या स्वास्थ्य समस्याएँ।
3. मिथुन लग्न
-
बृहस्पति 7वें (पति/पत्नी, साझेदारी) और 10वें (कर्म, करियर) भाव का स्वामी।
-
यह केन्द्राधिपति दोष से ग्रसित होता है, इसलिए अधिक शुभ नहीं।
-
विवाह, करियर और प्रतिष्ठा में उतार-चढ़ाव।
4. कर्क लग्न
-
बृहस्पति 6वें (ऋण, शत्रु, रोग) और 9वें (भाग्य) भाव का स्वामी।
-
9वें भाव का स्वामी होने से बहुत शुभ है।
-
भाग्य, शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में प्रगति।
5. सिंह लग्न
-
बृहस्पति 5वें (विद्या, संतान) और 8वें (आयु) भाव का स्वामी।
-
5वें भाव का स्वामी होने से योगकारक है।
-
विद्या, संतान, धन और बुद्धि में शुभ।
6. कन्या लग्न
-
बृहस्पति 4थे (माँ, सुख, संपत्ति) और 7वें (पति/पत्नी, साझेदारी) भाव का स्वामी।
-
केन्द्र स्वामी होने से ज्यादा शुभ नहीं।
-
गृहस्थ और वैवाहिक जीवन में चुनौतियाँ संभव।
7. तुला लग्न
-
बृहस्पति 3रे (साहस, भाई) और 6वें (ऋण, रोग) भाव का स्वामी।
-
यह तुला लग्न के लिए अशुभ है।
-
स्वास्थ्य, ऋण और संघर्ष की संभावना।
8. वृश्चिक लग्न
-
बृहस्पति 2रे (धन, परिवार) और 5वें (संतान, विद्या) भाव का स्वामी।
-
यह अत्यंत शुभ है और भाग्यवर्धक।
-
शिक्षा, धन, परिवार और संतति सुख प्रदान करता है।
9. धनु लग्न
-
बृहस्पति स्वयं लग्नेश (स्वयं, व्यक्तित्व) और 4थे (सुख, संपत्ति) भाव का स्वामी।
-
यहाँ यह अत्यंत शक्तिशाली शुभ ग्रह है।
-
भाग्य, व्यक्तित्व, शिक्षा, माता और संपत्ति में उन्नति।
10. मकर लग्न
-
बृहस्पति 3रे (साहस, पराक्रम) और 12वें (व्यय, विदेश) भाव का स्वामी।
-
यह अशुभ ग्रह है।
-
भाई-बहन, व्यय और संघर्ष में समस्या देता है।
11. कुंभ लग्न
-
बृहस्पति 2रे (धन) और 11वें (लाभ) भाव का स्वामी।
-
यह धन और लाभ का कारक होकर बहुत शुभ है।
-
धन, मित्रता, आय और समृद्धि में वृद्धि।
12. मीन लग्न
-
बृहस्पति स्वयं लग्नेश और 10वें (कर्म) भाव का स्वामी।
-
यह अत्यंत शुभ और शक्तिशाली ग्रह है।
-
करियर, प्रतिष्ठा, व्यक्तित्व और धर्म में प्रगति देता है।