सातवां भाव: विवाह और जीवनसाथी का घर
सातवां भाव विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी का प्रतीक है। इसका कारक ग्रह शुक्र है। सातवें भाव में शुभ ग्रहों की अच्छी राशियों में स्थिति समग्र समृद्धि और सुख लाती है। विवाह के बाद भाग्योदय के लिए कुंडली में धन, लाभ और भाग्य भावों का सातवें भाव से संबंध महत्वपूर्ण होता है।
विवाह के बाद भाग्य वृद्धि के प्रमुख योग
- द्वितीयेश एकादश में, एकादशेश नवम में यदि लग्न कुंडली में द्वितीय भाव (धन) का स्वामी एकादश भाव (लाभ) में हो और एकादशेश नवम भाव (भाग्य) में हो, तो विवाह के बाद व्यक्ति का भाग्य चमकता है। यह योग धन और सौभाग्य की वृद्धि देता है।
- शुक्र की स्थिति और लग्नेश का संबंध यदि शुक्र सातवें या द्वितीय भाव में हो, या लग्नेश द्वितीय/सातवें भाव में शुभ ग्रह से संबंधित या दृष्ट हो, तो विवाह के बाद सौभाग्य बढ़ता है। शुक्र की मजबूती सुखद वैवाहिक जीवन और आर्थिक लाभ देती है।
- गुरु और शुक्र का प्रभाव पुरुष कुंडली में गुरु की स्थिति और स्त्री कुंडली में शुक्र की स्थिति विवाह के बाद धन लाभ का संकेत देती है। गुरु भाग्य वृद्धि और शुक्र सौंदर्यपूर्ण समृद्धि लाता है।
- द्वितीय भाव और उसका स्वामी यदि लग्न कुंडली का द्वितीय भाव और उसका स्वामी मजबूत हो, तो जीवनसाथी धनी या आर्थिक रूप से मजबूत होता है, जो व्यक्ति की समृद्धि बढ़ाता है।
- अष्टम भाव: साथी से प्राप्त भाग्य अष्टम भाव जीवनसाथी से प्राप्त धन और भाग्य का कारक है। अष्टमेश की अच्छी स्थिति सेवा या व्यवसाय में साथी के प्रभाव से धन और सौभाग्य लाती है।
- द्वितीय, सातवां और एकादश भावों का संबंध इन भावों या उनके स्वामियों का परस्पर संबंध विवाह से आर्थिक लाभ उत्पन्न करता है। यह योग व्यापार या साझेदारी में सफलता देता है।
- सप्तमेश की स्थिति
- सप्तमेश एकादश भाव में: लाभ और आय में वृद्धि।
- सप्तमेश द्वितीय भाव में: धन संचय और परिवारिक समृद्धि।
- सप्तमेश का अन्य स्वामियों से संबंध सप्तमेश का द्वितीयेश, पंचमेश या एकादशेश से संबंध विवाह के बाद धन, संतान सुख और लाभ देता है।
- पत्नी के नाम पर व्यवसाय यदि सातवां भाव दशम भाव (कर्म) में स्थित हो या उससे मजबूत संबंध हो, तो पत्नी के नाम पर व्यवसाय सफल होता है। यह योग साझेदारी में लाभ देता है।
वैवाहिक सुख और समृद्धि का रहस्य
विवाह के बाद भाग्योदय के लिए सातवें भाव की मजबूती, शुक्र-गुरु का शुभ प्रभाव और धन-लाभ भावों का संबंध आवश्यक है। ये योग न केवल आर्थिक समृद्धि, बल्कि सुखद वैवाहिक जीवन भी सुनिश्चित करते हैं। कुंडली विश्लेषण में नवमांश (D9) चार्ट की जांच भी महत्वपूर्ण है।