हिन्दू नववर्ष संवत्सर : एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व


परिचय

हिन्दू नववर्ष, जिसे संवत्सर कहा जाता है, भारतवर्ष के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे विक्रम संवत का आरंभ भी माना जाता है, जिसकी गणना महाराज विक्रमादित्य के नाम से प्रारंभ हुई थी। यह दिन भारतीय संस्कृति, परंपरा और ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत महत्व रखता है।


संवत्सर का पौराणिक महत्व

हिन्दू धर्म के अनुसार, नववर्ष का प्रारंभ ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना के दिन से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन समय, ग्रह-नक्षत्र और जीवनचक्र की स्थापना की थी। साथ ही, यह दिन रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी विशेष उल्लेखित है। विक्रमादित्य द्वारा शकों पर विजय प्राप्त कर इसी दिन विक्रम संवत की शुरुआत की गई थी।


कैसे मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष

  1. घर की सफाई व सजावट: इस दिन विशेष रूप से घरों की सफाई की जाती है और रंगोली, तोरण, आम के पत्तों से द्वार सजाया जाता है।
  2. पूजन और हवन: ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु, देवी दुर्गा की पूजा कर नववर्ष के मंगलमय होने की कामना की जाती है।
  3. नव संवत्सर के फलादेश: इस दिन पंडित विशेष रूप से नए संवत्सर का ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं और वर्षभर के संभावित शुभ-अशुभ योगों की जानकारी दी जाती है।
  4. भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण: विभिन्न धार्मिक स्थलों पर भजन, कीर्तन, और यज्ञ का आयोजन होता है।
  5. गुड़ी पड़वा और उगादि उत्सव: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आंध्रप्रदेश व कर्नाटक में उगादि

संस्कृति और सामाजिक महत्व

हिन्दू नववर्ष केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह नई शुरुआत, सकारात्मक सोच, आत्मशुद्धि और परिवार तथा समाज में समरसता लाने का संदेश देता है। इसके साथ ही, कृषक वर्ग के लिए यह नव कृषिसत्र का आरंभ होता है।


नववर्ष के दिन क्या करें

  • प्रातः स्नान कर संकल्प लें।
  • घर में ध्वज या ‘गुड़ी’ स्थापित करें।
  • पंचांग वाचन सुनें।
  • दान, पुण्य, सेवा करें।
  • बड़ों का आशीर्वाद लें और छोटे-बड़ों को शुभकामनाएँ दें।

निष्कर्ष

हिन्दू नववर्ष संवत्सर न केवल धर्म और आध्यात्म से जुड़ा पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आचार-विचार, एवं सामाजिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करने वाला त्योहार है। यह दिन हमें सिखाता है कि हर वर्ष के साथ हमें अपने भीतर नई ऊर्जा, नई उम्मीद और नवीनता लानी चाहिए।

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