परिचय:
वैदिक ज्योतिष में परंपरागत रूप से 6वां, 8वां और 12वां भाव दुष्ट भाव (Dusthana Houses) कहलाते हैं। ये भाव आमतौर पर शत्रु, ऋण, रोग, मृत्यु, हानि और व्यय जैसे जीवन के कठिन पक्षों से जुड़े होते हैं। इसी कारणवश, इन भावों में स्थित ग्रहों को प्रायः पीड़ित माना जाता है।
परंतु जब कोई ज्योतिष का अध्ययन गंभीरता से करता है, विशेष रूप से केपी ज्योतिष (Krishnamurti Paddhati) की सहायता से, तब समझ में आता है कि कोई भी भाव पूर्णतः अशुभ या शुभ नहीं होता। यह सब घटना (Event), ग्रह की नक्षत्र स्थिति (Star Lord) और सब लॉर्ड (Sub-Lord) की भूमिका पर निर्भर करता है।
दुष्ट भावों की सकारात्मक भूमिका:
1. छठा भाव (6th House):
- परंपरागत रूप से यह ऋण, शत्रु और रोग का घर माना जाता है।
- परंतु यदि मंगल या शनि जैसे मजबूत ग्रह इसमें स्थित हों, तो यह व्यक्ति को संघर्ष से विजय, रोजगार में सफलता, या प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता दिला सकते हैं।
- केपी पद्धति में यदि छठे भाव का सबलॉर्ड 6 और 10 को जोड़ता है, तो यह सरकारी नौकरी या सेवा की संभावना देता है।
- यदि यह 6 और 12 को जोड़ता है, तो विदेश में नौकरी या विदेश से जुड़े कार्य की संभावना देता है।
2. आठवां भाव (8th House):
- इसे मृत्यु, गोपनीयता, दुर्घटना, अनुसंधान व आयु से जोड़ा जाता है।
- लेकिन यह उत्तराधिकार से संपत्ति, गूढ़ विद्याओं में रुचि, खजाना, बीमा, वसीयत से धन प्राप्ति, और लंबी उम्र जैसे सकारात्मक फल भी देता है।
- केपी ज्योतिष में यदि 8वें भाव का सबलॉर्ड 4, 11 और 2 को भी signify करता है, तो यह पैतृक संपत्ति की प्राप्ति का योग बनाता है।
3. बारहवां भाव (12th House):
- परंपरागत दृष्टि से यह व्यय, निर्वासन, पराजय, और मानसिक कष्ट से जुड़ा है।
- लेकिन यह भाव ध्यान, मोक्ष, विदेश यात्रा, इन्वेस्टमेंट, गोपनीय योजनाएं, शरणस्थल और सक्रिय दान से भी जुड़ा है।
- यदि 12वें भाव का सबलॉर्ड 3 और 12 को signify करता है, तो यह विदेश में बसने (foreign settlement) का स्पष्ट संकेत देता है।
- 12वां घर निवेश का भी सूचक है – इस भाव से जुड़े ग्रह यदि 2 और 11 को भी signify करें, तो निवेश से लाभ संभव है।
केपी ज्योतिष का दृष्टिकोण:
केपी ज्योतिष यह मानता है कि:
- कोई भी ग्रह केवल अपने स्थान से फल नहीं देता।
- ग्रह नक्षत्र स्वामी (Star Lord) के अनुसार फल देता है।
- लेकिन उस फल की प्रकृति (quality) सबलॉर्ड से निर्धारित होती है।
इसलिए, ग्रह का 6, 8, 12 में होना बुरा नहीं है जब तक कि वह संबंधित घटनाओं के लिए सही घरों से जुड़ाव न बना रहा हो।
उदाहरण:
- 12वां भाव + 3वां भाव → विदेश में स्थायी निवास।
- 6वां + 12वां → विदेश में नौकरी।
- 8वां + 4वां + 2वां + 11वां → विरासत से लाभ।
ज्योतिष का अध्ययन यदि केवल सतही स्तर पर किया जाए तो 6, 8 और 12 भाव भयावह लग सकते हैं। परंतु जैसे-जैसे कोई व्यक्ति ज्योतिष में गहराई से प्रवेश करता है, वह समझता है कि ये भाव भी जीवन की कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाओं में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
अतः कोई भाव न पूर्णतः शुभ है न अशुभ। सब कुछ उस भाव के साथ जुड़े योग, ग्रह, दृष्टियाँ और फल की प्रकृति पर निर्भर करता है।