
हनुमान चालीसा: केवल पाठ नहीं, अर्थ सहित जप ही सच्चा साधन है
सिर्फ हनुमान चालीसा रटना नहीं, अर्थ समझकर ध्यानपूर्वक जप करना ही सच्ची साधना है। इसका प्रत्येक शब्द जीवन में ऊर्जा, मार्गदर्शन और सकारात्मक बदलाव लाता है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह स्तुति केवल पाठ नहीं, बल्कि ध्यान और आत्मसाक्षात्कार का मार्ग है। जप करते समय मन, वाणी और शरीर की शुद्धता आवश्यक है। हनुमान जी की निःस्वार्थ सेवा और अहंकारहीनता हमें विनम्रता और दृढ़ता का पाठ सिखाती है।