वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव का रहस्य: भय या वरदान?

अष्टम भाव को अक्सर लोग अशुभ मानते हैं क्योंकि यह मृत्यु, हानि और अप्रत्याशित बदलाव से जुड़ा होता है। लेकिन इसकी एक और गहरी परत भी है—यह परिवर्तन, गुप्त धन, विरासत, आध्यात्मिक ज्ञान और रहस्यमयी शक्तियों का भाव भी है। अष्टम भाव: भय और सौभाग्य का द्वंद्व अष्टम भाव से डर क्यों लगता है? अष्टम भाव के सकारात्मक पक्ष यह गुप्त धन, विरासत और अप्रत्याशित वित्तीय लाभ का कारक है। अष्टम भाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण योग और उनके प्रभाव नकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव पीड़ित हो) सकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव शुभ स्थिति में हो) धन, करियर और छिपे खजाने से जुड़े शुभ योग गुप्त ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति से जुड़े शुभ योग निष्कर्ष अष्टम भाव केवल मृत्यु का भाव नहीं, बल्कि पुनर्जन्म और रूपांतरण का भी भाव है। इसलिए, अष्टम भाव को सिर्फ भय से नहीं, बल्कि उसके छिपे हुए रहस्यों और संभावनाओं से भी देखना चाहिए।

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मूल नक्षत्र: इसे अशुभ क्यों समझा जाता है?

मूल नक्षत्र को केतु और विनाश की देवी निर्ऋति के कारण “अशुभ” माना जाता है, लेकिन यह नक्षत्र जीवन में गहराई, सत्य की खोज, और पुराने को हटाकर नए सृजन का प्रतीक है। यह असंभव कार्यों को संभव बनाने और आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग दिखाता है। जातकों को अपनी शक्ति पहचानकर सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

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गुरु (बृहस्पति) महादशा के प्रभाव

गुरु महादशा जीवन में आंतरिक आनंद, आत्मज्ञान, और आर्थिक वृद्धि का काल हो सकता है। यह व्यक्ति को जीवन के गहरे सत्य और आत्म-संतुष्टि की ओर ले जाता है। लेकिन इसके प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में गुरु की स्थिति और उस व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करते हैं।

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विभिन्न भावों में राहु का प्रभाव: भविष्य की दृष्टि

ज्योतिष में राहु, जिसे चंद्रमा के उत्तरी नोड के रूप में भी जाना जाता है, एक छाया ग्रह है जो व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं, इच्छाओं और भविष्य के दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। यह अदृश्य लेकिन शक्तिशाली ग्रह व्यक्ति को अनदेखे और अधूरी इच्छाओं की ओर आकर्षित करता है।

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