अष्टम भाव में कौन सा ग्रह देता है अच्छे फल?

वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव एक दुष्ठान (दुर्बल भाव) है, जो आयु (लंबी उम्र), मृत्यु, रहस्य, गूढ़ विद्या, विरासत, अचानक घटनाएं, दीर्घ रोग, साथी की संपत्ति और परिवर्तन से संबंधित है। इसका कारक **शनि** है। यह भाव सामान्यतः ग्रहों को कष्ट देता है, लेकिन कुछ ग्रह यहां अच्छे फल देते हैं, विशेषकर **लंबी आयु**, आध्यात्मिक ज्ञान, गूढ़ विज्ञान में रुचि और अचानक लाभ के रूप में। फल हमेशा पूरे कुंडली (राशि, दृष्टि, योग आदि) पर निर्भर करते हैं। सबसे अच्छे फल देने वाले ग्रह – गुरु (बृहस्पति): अष्टम में गुरु सबसे शुभ माना जाता है। यह लंबी आयु, रोगों से रक्षा, विरासत से धन, गूढ़ विद्या (ज्योतिष, तंत्र-मंत्र) में सफलता और आध्यात्मिक उन्नति देता है। यदि गुरु अपनी राशि (धनु, मीन) या उच्च राशि (कर्क) में हो, तो फल और बेहतर होते हैं। कई स्रोतों में गुरु को अष्टम का सर्वश्रेष्ठ ग्रह कहा गया है। – सूर्य: सूर्य यहां साहस, लंबी आयु और संकटों में स्थिरता देता है। यह व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। – शनि: कारक होने से शनि यहां मजबूत होता है। यह लंबी आयु, अनुशासन, गूढ़ ज्ञान और पुरानी बीमारियों से मुक्ति दे सकता है, विशेषकर यदि अपनी राशि (मकर, कुंभ) या मित्र राशि में हो। – केतु: केतु यहां अच्छा चरित्र, सफल करियर और लंबी आयु देता है। यह आध्यात्मिक रुचि बढ़ाता है। – मंगल: यदि उच्च (मकर) में हो, तो लंबी आयु और ऊर्जा देता है, लेकिन सामान्यतः यह आयु को कम कर सकता है या दुर्घटना का खतरा बढ़ाता है। कम शुभ या अशुभ ग्रह – *चंद्र, बुध, शुक्र: ये यहां कमजोर होते हैं और मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्या या धन हानि दे सकते हैं। – राहु: रहस्यमय लाभ दे सकता है, लेकिन अस्थिरता और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ाता है। मुख्य अच्छे फल – **लंबी आयु और स्वास्थ्य: मजबूत अष्टम भाव ऊर्जा और दीर्घायु देता है। कई विश्व चैंपियन बॉक्सर्स की कुंडली में अष्टम भाव मजबूत होता है। – गूढ़ ज्ञान और आध्यात्म: मोक्ष, ज्योतिष, तंत्र और रहस्यमय विज्ञान में रुचि। – धन लाभ: विरासत, बीमा, साथी की संपत्ति या अचानक धन। – परिवर्तन: जीवन में गहन बदलाव, जो अंततः सकारात्मक होते हैं। सावधानी अष्टम भाव ग्रहों को “नष्ट” करता है, अर्थात उनके कारकत्व को कमजोर करता है, लेकिन भाव स्वयं मजबूत होने पर व्यक्ति  और लंबी उम्र देता है। क्लासिकल ग्रंथों (जैसे फलदीपिका) में कई ग्रहों के नकारात्मक फल बताए गए हैं, लेकिन आधुनिक व्याख्या में गुरु, सूर्य और शनि को शुभ माना जाता है। पूर्ण फल जानने के लिए कुंडली का पूरा विश्लेषण जरूरी है। यदि अष्टम भाव पीड़ित हो, तो उपाय (जैसे गुरु या शनि की शांति) करें।

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