महादशाएं और नौकरी, व्यवसाय या करियर में सफलता – भारतीय ज्योतिष अनुसार

भारतीय ज्योतिष में करियर, नौकरी और व्यवसाय के लिए विशेष ग्रह, भाव और महादशाएं जिम्मेदार होती हैं। 10वें, 6ठे, 2रे और 11वें भाव के स्वामी और उनमें स्थित ग्रहों की महादशाएं कार्यक्षेत्र में परिवर्तन और सफलता का संकेत देती हैं। शनि, गुरु और उनके संबंधी भाव विशेष रूप से विश्लेषण के योग्य होते हैं। सही महादशा के दौरान योग बनने से नई नौकरी, पदोन्नति या आर्थिक लाभ संभव होता है।

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कमजोर चंद्रमा को कैसे मजबूत करें?

चंद्रमा कमजोर होने पर मन अशांत, अनिश्चित और संवेदनशील हो सकता है। यदि यह मंगल, राहु, शनि या केतु से पीड़ित है, तो विशेष उपाय करने चाहिए। ध्यान, योग, शिव पूजा, सकारात्मक संगति और आत्मसंयम चंद्रमा को मजबूत कर सकते हैं। शनि और बृहस्पति की पूजा भी लाभदायक होती है। अंततः, मानसिक परिपक्वता, ज्ञान और अनुशासन विकसित करके ही चंद्रमा की वास्तविक मजबूती प्राप्त की जा सकती है।

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वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव का रहस्य: भय या वरदान?

अष्टम भाव को अक्सर लोग अशुभ मानते हैं क्योंकि यह मृत्यु, हानि और अप्रत्याशित बदलाव से जुड़ा होता है। लेकिन इसकी एक और गहरी परत भी है—यह परिवर्तन, गुप्त धन, विरासत, आध्यात्मिक ज्ञान और रहस्यमयी शक्तियों का भाव भी है। अष्टम भाव: भय और सौभाग्य का द्वंद्व अष्टम भाव से डर क्यों लगता है? अष्टम भाव के सकारात्मक पक्ष यह गुप्त धन, विरासत और अप्रत्याशित वित्तीय लाभ का कारक है। अष्टम भाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण योग और उनके प्रभाव नकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव पीड़ित हो) सकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव शुभ स्थिति में हो) धन, करियर और छिपे खजाने से जुड़े शुभ योग गुप्त ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति से जुड़े शुभ योग निष्कर्ष अष्टम भाव केवल मृत्यु का भाव नहीं, बल्कि पुनर्जन्म और रूपांतरण का भी भाव है। इसलिए, अष्टम भाव को सिर्फ भय से नहीं, बल्कि उसके छिपे हुए रहस्यों और संभावनाओं से भी देखना चाहिए।

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राहु और शनि देव

राहु और शनि दोनों का जीवन पर गहरा प्रभाव होता है, लेकिन उनकी शक्ति और प्रभाव का प्रकार अलग है। राहु जहां भौतिक इच्छाओं, भ्रम और अनिश्चितता का प्रतीक है, वहीं शनि कर्म, अनुशासन और स्थायित्व का प्रतीक है। दोनों ग्रह व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार की चुनौतियों और अवसरों के माध्यम से विकसित होने में मदद करते हैं।

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विभिन्न भावों में राहु का प्रभाव: भविष्य की दृष्टि

ज्योतिष में राहु, जिसे चंद्रमा के उत्तरी नोड के रूप में भी जाना जाता है, एक छाया ग्रह है जो व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं, इच्छाओं और भविष्य के दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। यह अदृश्य लेकिन शक्तिशाली ग्रह व्यक्ति को अनदेखे और अधूरी इच्छाओं की ओर आकर्षित करता है।

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Why the Rahu is called King of Kalyuga

राहु को कलयुग का राजा कहा जाता है क्योंकि वह भौतिकता, महत्वाकांक्षा और माया का प्रतीक है। यह लोगों को भौतिक लक्ष्यों की ओर प्रेरित करता है और प्रौद्योगिकी, सोशल मीडिया, और परंपराओं को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राहु का प्रभाव सामाजिक परिवर्तन और नैतिक संघर्षों को जन्म देता है।

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