केतु महादशा: एक आध्यात्मिक यात्रा

केतु महादशा व्यक्ति को भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर कर आध्यात्मिकता और आत्मबोध की ओर ले जाती है। इस दौरान:
✔ भौतिक जीवन में अस्थिरता, नौकरी और संबंधों में बदलाव हो सकते हैं।
✔ अकेलापन, आत्मनिरीक्षण, गूढ़ विज्ञान और धार्मिक गतिविधियों में रुचि बढ़ सकती है।
✔ पूर्व जन्म के कर्मों का फल मिलता है और नए संबंध कर्मजनित हो सकते हैं।
✔ आध्यात्मिक जागरण, रहस्यमयी अनुभव और आत्मबोध का समय होता है।
✔ ध्यान, योग, दान-पुण्य और सेवा करने से इस समय को सकारात्मक रूप से बिताया जा सकता है।

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वैदिक ज्योतिष में अष्टम भाव का रहस्य: भय या वरदान?

अष्टम भाव को अक्सर लोग अशुभ मानते हैं क्योंकि यह मृत्यु, हानि और अप्रत्याशित बदलाव से जुड़ा होता है। लेकिन इसकी एक और गहरी परत भी है—यह परिवर्तन, गुप्त धन, विरासत, आध्यात्मिक ज्ञान और रहस्यमयी शक्तियों का भाव भी है। अष्टम भाव: भय और सौभाग्य का द्वंद्व अष्टम भाव से डर क्यों लगता है? अष्टम भाव के सकारात्मक पक्ष यह गुप्त धन, विरासत और अप्रत्याशित वित्तीय लाभ का कारक है। अष्टम भाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण योग और उनके प्रभाव नकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव पीड़ित हो) सकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव शुभ स्थिति में हो) धन, करियर और छिपे खजाने से जुड़े शुभ योग गुप्त ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति से जुड़े शुभ योग निष्कर्ष अष्टम भाव केवल मृत्यु का भाव नहीं, बल्कि पुनर्जन्म और रूपांतरण का भी भाव है। इसलिए, अष्टम भाव को सिर्फ भय से नहीं, बल्कि उसके छिपे हुए रहस्यों और संभावनाओं से भी देखना चाहिए।

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