वेदिक ज्योतिष में बृहस्पति (गुरु) के 12 भावों में प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति (गुरु) को ज्ञान, सौभाग्य और अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है। इसकी कुंडली में 12 भावों में स्थिति जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव डालती है, जैसे स्वास्थ्य, विवाह, शिक्षा, करियर आदि। उदाहरण के लिए, पहले भाव में गुरु शुभ स्वास्थ्य और सम्मान देता है, जबकि दसवें भाव में यह करियर में सफलता लाता है। केपी ज्योतिष के अनुसार, गुरु की महादशा, अंतरदशा और उप-अंतरदशा में वह उन भावों के फल देता है जिनका वह कारक होता है। यह फल कुंडली की स्थिति के अनुसार व्यक्ति विशेष के जीवन में घटित होते हैं।

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राजयोग (Raja Yoga) – सफलता और समृद्धि देने वाला विशेष ज्योतिषीय योग

राजयोग एक विशेष ज्योतिषीय योग है, जो व्यक्ति को उच्च पद, प्रतिष्ठा, धन और सफलता प्रदान करता है। यह केंद्र और त्रिकोण भावों के शुभ ग्रहों के मेल से बनता है। प्रमुख राजयोगों में गजकेसरी योग, पंच महापुरुष योग, बुधादित्य योग और लक्ष्मी योग शामिल हैं। मजबूत राजयोग व्यक्ति को प्रशासन, राजनीति और व्यापार में सफलता दिलाता है, जबकि कमजोर योग संघर्ष बढ़ा सकता है। कुंडली का विश्लेषण कर उचित उपाय किए जा सकते हैं।

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