सुंदरकांड के 25वें दोहे में छिपा दिव्य रहस्य: 49 मरुतों का रहस्य


सुंदरकांड के 25वें दोहे में छिपा दिव्य रहस्य: 49 मरुतों का रहस्य

दोहा:

“हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास
अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।।”


भावार्थ:

जब हनुमानजी ने लंका को अग्नि के हवाले किया, उस समय 49 मरुतों (पवनों) ने एक साथ चलना शुरू कर दिया। वे हँसते हुए आकाश की ओर उठे और गर्जना कर विशाल रूप धारण कर लिया।

यह केवल एक काव्यात्मक कल्पना नहीं है, बल्कि वेदों और शास्त्रों पर आधारित गूढ़ वैदिक ज्ञान है।


मरुतों का वैज्ञानिक और वैदिक रहस्य

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में वायु (Air) को केवल एक तत्व नहीं माना गया, बल्कि उसे जीवंत, प्रभावी और विविध शाखाओं वाला तत्व माना गया है। वैदिक ऋषियों ने इसका वर्गीकरण किया और यह बताया कि वायु के 7 मुख्य रूप होते हैं। इनकी प्रत्येक शाखा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कार्यरत होती है।


वेदों में वर्णित वायु की 7 शाखाएं और उनके गुणधर्म

क्रमवायु का नामस्थिति/स्थानकार्य/गति
1.प्रवहपृथ्वी से बादल मंडल तकबादलों को समुद्र से जल लेकर लाना और वर्षा कराना
2.आवहसूर्य मंडलसूर्य की गति को ध्रुव से बांधकर घुमाना
3.उद्वहचंद्र मंडलचंद्रमा की गति को नियंत्रित करना
4.संवहनक्षत्र मंडलनक्षत्रों को गतिमान रखना
5.विवहग्रह मंडलग्रहों की कक्षाएं नियंत्रित करना
6.परिवहसप्तर्षि मंडलसप्तर्षियों की गतिशीलता सुनिश्चित करना
7.परावहध्रुव में आबद्धध्रुव चक्र को स्थिर रखना

49 मरुत कौन हैं?

इन 7 प्रकार की वायु की प्रत्येक शाखा के 7-7 गण (संचालक देवता) होते हैं।

7 वायु × 7 गण = 49 मरुत

ये मरुत:

  • ब्रह्मलोक
  • इंद्रलोक
  • अंतरिक्ष
  • पृथ्वी की चार दिशाएँ (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण)

में सक्रिय रूप से कार्य करते हैं।

वेदों और पुराणों में ये मरुत देवस्वरूप, चेतन शक्तियाँ मानी गई हैं, जो प्राकृतिक घटनाओं जैसे तूफान, वर्षा, बिजली आदि में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।


आधुनिक मौसम विज्ञान बनाम वैदिक ज्ञान

आधुनिक विज्ञान में वायु की पहचान केवल नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, CO₂ जैसे गैसों के मिश्रण के रूप में की जाती है। परंतु वेदों में वायु को ब्रह्मतत्व, चेतन शक्ति और संचालित ब्रह्मांडीय व्यवस्था का हिस्सा माना गया है।

तुलसीदास जी ने यह गूढ़ ज्ञान सहज भाषा में सुंदरकांड के एक दोहे में समाहित कर दिया, जो दर्शाता है कि वेद, रामचरितमानस जैसे ग्रंथ न केवल आध्यात्मिक, बल्कि वैज्ञानिक गहराई से भी भरपूर हैं।


क्या है इसका सांकेतिक महत्व?

हनुमानजी स्वयं वायुपुत्र हैं, अतः उनका अग्निकांड के समय सभी 49 मरुतों का एक साथ सक्रिय होना दर्शाता है कि प्रकृति की समस्त वायु शक्तियाँ एकसाथ एक कार्य के लिए प्रवृत्त हो गईं

यह:

  • हनुमानजी की दिव्य शक्ति को दर्शाता है।
  • यह भी दर्शाता है कि कैसे ब्रह्मांड की समस्त शक्तियाँ एक उद्देश्य के लिए एकत्र हो सकती हैं।

तुलसीदास जी के इस दोहे में छिपे गूढ़ रहस्य को जब वेदों की दृष्टि से देखा जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि:

  • भारतीय ऋषियों ने प्राकृतिक तत्वों की गहनतम संरचना और कार्यप्रणाली को जाना था।
  • 49 मरुतों का उल्लेख एक आध्यात्मिक संकेत मात्र नहीं, बल्कि ब्राह्मांडीय वायुतंत्र की गहरी समझ का संकेत है।
  • यह ज्ञान आधुनिक विज्ञान के लिए शोध और पुनः खोज का विषय हो सकता है।

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