अष्टम भाव को अक्सर लोग अशुभ मानते हैं क्योंकि यह मृत्यु, हानि और अप्रत्याशित बदलाव से जुड़ा होता है। लेकिन इसकी एक और गहरी परत भी है—यह परिवर्तन, गुप्त धन, विरासत, आध्यात्मिक ज्ञान और रहस्यमयी शक्तियों का भाव भी है।
अष्टम भाव: भय और सौभाग्य का द्वंद्व
अष्टम भाव से डर क्यों लगता है?
- यह मृत्यु और नाश का भाव माना जाता है, लेकिन यह केवल शारीरिक मृत्यु नहीं, बल्कि जीवन में बड़े बदलाव और रूपांतरण को भी दर्शाता है।
- यदि यह भाव पीड़ित हो तो अचानक धन हानि, दुर्घटनाएँ, दीर्घकालिक बीमारियाँ या छोटी उम्र में मृत्यु का योग बना सकता है।
- इस भाव में खराब ग्रह स्थिति से आर्थिक अस्थिरता, मानसिक तनाव और छिपे हुए शत्रु उत्पन्न हो सकते हैं।
अष्टम भाव के सकारात्मक पक्ष
यह गुप्त धन, विरासत और अप्रत्याशित वित्तीय लाभ का कारक है।
- गूढ़ विद्या, ज्योतिष, गहन अनुसंधान और आध्यात्मिक उन्नति से भी जुड़ा है।
- यदि यह भाव मजबूत हो, तो जातक को असीम धैर्य, संघर्ष से जीतने की शक्ति और रहस्यमयी ज्ञान की प्राप्ति होती है।
अष्टम भाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण योग और उनके प्रभाव
नकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव पीड़ित हो)
- अष्टमेश (अष्टम भाव का स्वामी) स्वयं अष्टम भाव में हो और पाप ग्रहों से दृष्ट हो – अल्पायु और संघर्षमय जीवन।
- तृतीय भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो और शुभ ग्रहों का प्रभाव न हो – जातक का जीवन दुखद अंत की ओर जा सकता है।
- द्वादश भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो – दीर्घायु तो मिल सकती है, लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं और वित्तीय हानि का योग भी रहेगा।
- राहु या केतु अष्टम भाव में हो और गुरु का संरक्षण न मिले – अचानक दुर्घटनाओं या अप्रत्याशित घटनाओं से जीवन प्रभावित होगा।
सकारात्मक योग (यदि अष्टम भाव शुभ स्थिति में हो)
धन, करियर और छिपे खजाने से जुड़े शुभ योग
- अष्टम भाव का स्वामी यदि एकादश भाव (लाभ स्थान) में नीच का हो – जातक को व्यवसाय में जुड़ाव और सामाजिक संबंधों से आर्थिक लाभ मिलता है।
- अष्टम भाव में बुध-राहु की युति (कन्या या मिथुन राशि में) – जातक को गुप्त स्रोतों से अथाह धन प्राप्ति होती है।
- अष्टम भाव में बृहस्पति-शनि की युति (मित्र राशि में) – जातक को विदेशी सहयोग और अनुसंधान कार्यों से धन प्राप्ति होती है।
- अष्टम भाव में चंद्र-बृहस्पति की युति (कर्क, धनु या मीन राशि में) – जातक को पैतृक संपत्ति, विरासत और निवेश से जबरदस्त लाभ होता है।
गुप्त ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति से जुड़े शुभ योग
- अष्टम भाव में शुक्र (शुभ राशि में) – जातक को गुप्त विद्या, तंत्र, ज्योतिष और रहस्यमयी शक्तियों का ज्ञान होता है।
- अष्टम भाव में शनि-राहु की युति – जातक को ज्योतिष, आध्यात्मिक साधना और रहस्यमयी ज्ञान की प्राप्ति होती है, लेकिन जीवन में संघर्ष भी रहेगा।
- अष्टम भाव पर शनि या शुक्र की दृष्टि – जातक गूढ़ विद्या में रुचि रखता है और उसे जीवन में सफलता मिलती है।
- अष्टम भाव में शनि-शुक्र-राहु की युति – जातक को तंत्र-मंत्र, रहस्यमयी विज्ञान और गहरे आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते हैं।
निष्कर्ष
अष्टम भाव केवल मृत्यु का भाव नहीं, बल्कि पुनर्जन्म और रूपांतरण का भी भाव है।
- यदि अष्टम भाव शुभ हो तो जातक को धन, विरासत, गूढ़ ज्ञान और जबरदस्त आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
- यदि अशुभ हो तो यह आर्थिक संघर्ष, मानसिक तनाव और जीवन की कठिनाइयों का कारण बन सकता है।
- यह गहरे अनुसंधान, तंत्र, ज्योतिष और आध्यात्मिकता का भी भाव है, जो व्यक्ति को रहस्यमयी और असाधारण शक्तियों से जोड़ सकता है।
इसलिए, अष्टम भाव को सिर्फ भय से नहीं, बल्कि उसके छिपे हुए रहस्यों और संभावनाओं से भी देखना चाहिए।