बहुत से भक्त हनुमान चालीसा को रट कर मात्र बोलते हैं — इसे ‘पाठ’ कहते हैं। जबकि ‘जप’ का अर्थ है शब्दों के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करना, मन को उसी में लगाना। हनुमान चालीसा का जप तभी फलदायी होता है जब उसका अर्थ हृदय में उतरता है।
1. पाठ और जप में अंतर समझें
2. हनुमान चालीसा का उद्देश्य और महत्व
हनुमान चालीसा को गोस्वामी तुलसीदास जी ने लगभग 500 वर्ष पूर्व लिखा था। इसमें 40 चौपाइयाँ हैं, इसलिए इसे “चालीसा” कहा जाता है। हर चौपाई में जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति, आत्मबल, भक्ति, सेवा और विनम्रता की शिक्षा छिपी है।
3. अर्थ सहित जाप कैसे करें?
- हर चौपाई को धीरे-धीरे पढ़ें।
- उस समय उसका शब्दशः अर्थ मन में लाएं।
- भावों से भरकर उच्चारण करें — जैसे ध्यान या ध्यानात्मक स्तुति।
- इसका अभ्यास प्रतिदिन एक निर्धारित समय पर करें — विशेषतः सुबह या मंगलवार/शनिवार को।
उदाहरण:
“महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी” —
इसका अर्थ समझें: “हे महावीर, पराक्रमी बजरंगबली, आप बुरे विचारों को दूर करके अच्छे विचारों के साथी हैं।”
4. जाप करते समय मन, वाणी और कर्म की पवित्रता रखें
हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, अतः उनके ध्यान के समय साधक को भी संयम में रहना चाहिए:
- मन से किसी के प्रति दुर्भाव, वासना या छल का भाव न रखें।
- वाणी से अपशब्द, झूठ या आलोचना से बचें।
- शरीर से कोई अनुचित कर्म न करें जैसे किसी को दुःख देना, हिंसा, भोग में डूबना।
ये तीनों ही — मन, वाणी और कर्म — जब शुद्ध होते हैं, तब साधना सिद्ध होती है।
5. हनुमान नाम का अर्थ और आध्यात्मिक संकेत
- “हनु” का अर्थ है ठुड्डी या हनन (विनाश)।
- “मान” का अर्थ है अभिमान या सम्मान।
- हनुमान वह हैं जिन्होंने अपने अहंकार (मान) का हनन किया।
- बल, बुद्धि और विद्या से परिपूर्ण होते हुए भी वे अत्यंत विनम्र थे।
- यही कारण है कि वे ‘भगवान’ माने गए — क्योंकि उन्होंने स्वयं को नियंत्रण में रखा।
6. हनुमान चालीसा से क्या लाभ मिलते हैं?
- जीवन का लक्ष्य स्पष्ट होता है
- दुखों से मुक्ति मिलती है
- आत्मबल और मनोबल बढ़ता है
- विपत्तियों का सामना करने की शक्ति मिलती है
- स्वास्थ्य में सुधार होता है
- मन स्थिर और सकारात्मक बनता है
7. सिद्धि प्राप्ति के नियम
यदि आप हनुमान चालीसा को ‘सिद्ध’ करना चाहते हैं, तो यह नियम अपनाएं:
- 21, 31 या 108 दिन तक नियमपूर्वक पाठ करें।
- प्रतिदिन एक ही स्थान, समय और आसन पर बैठें।
- पाठ से पहले स्नान और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- आस-पास वातावरण शुद्ध और शांत रखें।
- पाठ के अंत में हनुमानजी से अपने हृदय की बात करें।